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खुद को नास्तिक बोलने वाला चाइना भी रहस्यमय तरीके से करता है शिवजी की भक्ति?

खुद को नास्तिक बोलने वाला चाइना भी रहस्यमय तरीके से करता है शिवजी की भक्ति?

हिंदुस्तान का पड़ोसी मुल्क चीन खुद को सार्वत्रिक तौर से नास्तिक बताता है। चीन देश में सभी धर्म के अनुयाई मिल जाएंगे। चीन देश खुद को हिंदुस्तान से बहुत अलग मानता है। हमने देखा है कि चीन हिंदू धर्म से बहुत दूर रहता है। 

दोस्तों इतिहास गवाह है कि चीन अखंड भारत का एक अभिन्न हिस्सा है। चीन में मौजूद हिंदू मंदिर इस बात के सबूत है। दोस्तों एक समय ऐसा था जब चीन में हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पूजा आराधना होती थी। विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक बताने वाला चिन इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि उसकी जड़े हिंदुस्तान से मिली हुई है। 

दोस्तों आज की तारीख में भले ही चीन सभी देशों के सामने खुद को नास्तिक बताने की कोशिश कर रहा है परंतु हकीकत यह है कि चीन में अभी भी हिंदू देवी देवताओं की पूजा आराधना की जाती है।

चीन के समुद्र किनारे बसा हुआ एक शहर हिंदू सभ्यता से जुड़ा हुआ था। आज भी इस शहर में दक्षिण भारत से मिलते जुलते देवी देवताओं की मूर्तियों के मंदिर मौजूद है। इस मूर्तियों में भगवान विष्णु की नरसिंह अवतार वाली मूर्तियों से लेकर शिवलिंग की मूर्तियां शामिल है।

चीन के फूंजीयन प्रांत में आज भी शिव मंदिर के अवशेष पाए जाते हैं। यहां पर 5 फुट लंबा शिवलिंग है। और इसकी दीवारों पर हिंदू संस्कृति की नक्शी छपी हुई है। मुल रुप से भगवान शिव को समर्पित इस मंदीर को तान साम्राज्य द्वारा बनवाया गया था। लेकिन चीन में रहने वाले इस समुदाय के कुछ लोगों ने तेरवी सदी में उसकी मरम्मत करवाई।

चीन में ऐसे कई सबूत मिलते हैं जिससे पता चलता है कि वहां पर हिंदू संस्कृति की देवी देवताओं की पूजा आराधना की जाती है। चीन के लोहयान जिले के सुहन्जू क्षेत्र में एक खम्भा है इस पर ऊपर से लेकर नीचे तक संस्कृत भाषा में लिखा हुआ है। इस पत्थर को शिवलिंग की तरह पूजा जाता है। 

संतान सुख की प्राप्ति के लिए यहां पर चीन की महिलाएं अपनी मन्नत पूरी करने के लिए आती है ।चीन में कई जगह एसे शिवालय मिलते हैं जहां पर आज भी शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। चीन में शिव और पार्वती के अपनी भाषा में नाम भी रखे हैं।

चीन के लोग अपने मंदिर में आराध्य की पूजा आराधना करते हैं। यहां पर बने मंदिर 800 ईसवी के है ऐसा माना जाता है। चीन के कई स्थानों पर भगवान शिव और माता पार्वती के अलग-अलग मंदिर है। और कई सारे मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है।

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